शनि देव पर तेल क्यूं चढ़ाते है, शनि अगर अशुभ है तो ये सावधानी बरते
शनि देव की पूजा और उन पर तेल चढ़ाने की परंपरा का संबंध भारतीय ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। शनि देव को न्याय के देवता माना जाता है और वे कर्म के आधार पर फल देने वाले देवता हैं। उनके प्रभाव से संबंधित कई उपाय और परंपराएं हैं जो लोगों के जीवन में संतुलन, सुख-शांति और समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए की जाती हैं। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने पाठको के लिए शनि देव से सम्बंधित बेहद खास जानकारी लेकर प्रस्तुत है|आइए समझते हैं कि शनि देव पर तेल चढ़ाने की परंपरा का क्या महत्व है और इसके अन्य उपाय क्या हैं।
शनि देव की पूजा और उन पर तेल चढ़ाने की परंपरा भारतीय धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं में गहरे रूप से रची-बसी है। शनि देव के क्रोध और उनके द्वारा दिए गए कष्टों से बचने के लिए तेल चढ़ाना, दान करना, हनुमान जी की पूजा करना, और अन्य ज्योतिषीय उपाय करना लाभकारी माना जाता है। शनि देव की पूजा करने से व्यक्ति का जीवन संयमित, शांत और स्थिर हो सकता है।
शनि देव पर तेल चढ़ाने की परंपरा का संबंध धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं से है। यह माना जाता है कि शनि देव के क्रूर दृष्टि से मुक्ति पाने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उन पर तेल चढ़ाना शुभ होता है। इसके पीछे कई कारण और मान्यताएं हैं|
शनि देव को क्रोधित और गंभीर स्वभाव का माना गया है। उन पर तेल चढ़ाने से उनके क्रोध को शांत करने का प्रयास किया जाता है। खासकर सरसों का तेल चढ़ाना, उन्हें प्रसन्न करता है।
शनि का प्रभाव जीवन में कई बाधाओं, संघर्षों और दुःखों को लाता है। शनि दोष या साढ़ेसाती के समय शनि देव पर तेल चढ़ाने से अमंगलकारी प्रभाव कम होता है। शनि न्यायप्रिय देवता हैं और वे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। तेल चढ़ाने से उनकी अनुकूल दृष्टि प्राप्त होती है, जिससे जीवन में न्याय और कर्मों के आधार पर सही फल मिलने की संभावना बढ़ती है।
शनि देव पर तेल चढ़ाने से भीतर मंगलकारी ऊर्जा का संचार होता है, जिससे व्यक्ति को स्वास्थ्य, मानसिक शांति और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।
* शनि देव को प्रसन्न करने के अन्य उपाय:
शनि देव की कृपा प्राप्त करने और उनके दुष्प्रभावों से बचने के लिए कई उपाय किए जाते हैं। ज्योतिष में यह उपाय शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभावों को कम करने के लिए सुझाए जाते हैं। यहां कुछ प्रमुख उपाय दिए गए हैं:
1.हनुमान जी की पूजा करने से शनि देव का क्रोध शांत होता है। मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना लाभकारी होता है।
2.शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाना और उसकी परिक्रमा करना शनि के कष्टों को कम करने में सहायक होता है। यह माना जाता है कि शनि देव पीपल में निवास करते हैं।
3.शनि दोष से राहत पाने के लिए काले रंग के वस्त्र, जूते और काले उड़द का दान करना शुभ माना जाता है। इसे शनि देव की अनुकूल दृष्टि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
4.रोजाना “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप शनि देव को प्रसन्न करने में सहायक होता है। प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और स्थिरता आती है।
5.गाय को प्रतिदिन रोटी और गुड़ खिलाना शनि दोष के प्रभाव को कम करता है। इसके साथ ही काले तिल और सरसों के तेल का दान करना भी लाभकारी माना जाता है।
6.शनिवार के दिन काले उड़द और सरसों के तेल का दान करना शनि देव को प्रसन्न करने का एक सरल और प्रभावी उपाय है। इससे शनि के दुष्प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति की स्थिति में सुधार होता है।
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव:
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में काफी कठिनाइयां ला सकता है। साढ़ेसाती का ये काल लगभग 7.5 वर्षों का होता है | और ढैया का 2.5 वर्ष का होता है |इस दौरान व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, सही उपाय और पूजा-पाठ करने से इस प्रभाव को कम किया जा सकता है।
1.साढ़ेसाती के दौरान सादा जीवन जीना और ईमानदारी से कार्य करना आवश्यक है। शनि देव के प्रति सम्मान रखना और सही आचरण करना उनके क्रोध को शांत करता है।
2.शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए सेवा करना बहुत महत्वपूर्ण है। जरूरतमंदों की मदद करना, दान करना और गरीबों के प्रति दया रखना शनि दोष से मुक्ति पाने में सहायक होता है।
3.शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए मांस और शराब का सेवन बंद करना भी एक महत्वपूर्ण उपाय माना गया है। यह शुद्ध जीवनशैली को बढ़ावा देता है और शनि की अनुकूलता को बढ़ाता है।
4.शनि दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कृष्ण भगवान की पूजा करना भी शुभ माना गया है। विशेष रूप से गीता का पाठ करना और भगवद गीता में दिए गए उपदेशों का पालन करना शनि के कठिन समय को सहज बना सकता है।